डॉक्टर : डिप्रेशन की पेशेंट से-
क्या तकलीफ़ है..?
*लेडी पेशेंट* : सर, दिमाग में बहुत उल्टे पुलटे
विचार आते हैं, रुकते ही नहीं…
*डॉक्टर* : कैसे विचार आते हैं ..?
*लेडी पेशेंट* : जैसे अब मैं यहाँ आई हूँ तो आपके
ओपीडी में एक भी पेशेंट नहीं था.. तो मैं सोचने लगी
कि डॉक्टर साहब के पास कोई भी पेशेंट नहीं है,
इनकी कमाई कैसे होगी, घर कैसे चलेगा, इतना पैसा
डाला पढ़ाई में, अब क्या करेंगे.. हॉस्पिटल बनाने में
भी बहुत पैसा लगाया होगा, अब लोन कैसे
चुकाएंगे ? कहीं किसानों के माफ़िक लटक तो नहीं
जाएंगे एक दिन…!! ऐसे कुछ भी विचार आते रहते हैं…