मास्टर जी- “खुशी का ठिकाना न रहा” कोई इस मुहावरे का अर्थ बताओ?
चिंटू – खुशी घर वालों से छिपकर, हर रोज अपने दोस्त से मिलने जाती थी।
फिर एक दिन उसके पापा ने उसे देख लिया और खुशी को घर से निकाल दिया।
अब बेचारी “खुशी का ठिकाना न रहा”।
यह जवाब सुनकर मास्टर जी अभी तक बेहोश ही हैं।